करनालकारोबारकुरुक्षेत्रकैथलखेलचंडीगढ़देश-विदेशपंचकुलापंजाबपानीपतशिक्षासिरसासोनीपतहरियाणाहिसार

हरियाणा की राजनीति में कहावत आया राम- गया राम के बाद टपकना राम -लपटकना राम की कहावत शुरू*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
हरियाणा की राजनीति में कहावत आया राम- गया राम के बाद टपकना राम -लपटकना राम की कहावत शुरू*
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
चंडीगढ ;- हरियाणा में राजनीति के पीएचडी माने जाने वाले पूर्व स्वर्गीय मुख्यमंत्री भजन लाल के समय मे एक कहावत मशहूर हुई थी। जो पूरे देश मे अपना स्थान बना चुकी थी। जब भी किसी प्रदेश में या किसी राजनीति दल में टूटफूट होती थी तो उसको हरियाणा की मशहूर कहावत के साथ जोड़ा जाता था। अब हरियाणा की राजनीति में एक नई कहावत आयी है जो आया राम- गया राम के बाद टपकना राम -लपटकना राम की कहावत से शुरू हो चुकी है। भाजपा-जजपा पार्टी प्रतयाशी को लेकर कांग्रेस की देख रही है तो इनेलो इन दोनों को देख रही है। सभी पार्टियां एक दूसरे पर सीसीटीवी की तरह देख रहे हैं। अभी तक प्रत्याशियों की घोषणा नहीं हो पा रही।रोहतक लोकसभा चुनाव में अरविंद शर्मा को कांग्रेस से टिकट नहीं मिला तो लपक लिया भाजपा ने । इसी तरह जींद उप चुनाव में इनेलो के डाॅ कृष्ण मिड्ढा को लपका । प्रत्याशी बनाया और विधानसभा में पहुंच गये । यह प्यार का सिलसिला या खेल जारी है बरोदा उप चुनाव तक । पता नहीं किसका , किस पार्टी से दांव लग जाये । जैसे जींद और रोहतक में लगा । ऐसे ही पता नहीं किसकी लाॅटरी लग जाये । क्या विधानसभा या लोकसभा के पार्टियों के पास अपने प्रत्याशी नहीं होते जो दूसरों की ओर टकटकी लगाये देखते रहते हैं । अब भाजपा से कोई पूछे कि योगेश्वर दत्त शर्मा में क्या कमी आ गयी ? वह तो बरोदा के गांवों के चक्कर काटते थक गये । बरोदा हो या कोई भी चुनाव हर बार यही खेल । नामांकन के आखिरी दिन तक प्रत्याशी हाईकमान की ओर टुक टुक देखता रहता है । प्रचार का समय निकलता और खिसकता जाता है । बाद में चुनाव प्रचार उठाने में बहुत ज़ोर लगाना पड़ता है । समय रहते प्रत्याशियों का फैसला कोई भी पार्टी नहीं करती । मज़ेदार बात कि पहले कांग्रेस ही ऐसा खेल करती थी । अब हर पार्टी को यह दूसरों के मुंह की ओर देखने की बीमारी लग गयी । यदि सभी पार्टियां ऐसे ही अपने कार्यकर्त्ताओं की उपेक्षा कर बाहरी प्रत्याशियों को महत्त्व देने लगीं तो सच में ये लोग क्या सारी उम्र पार्टी के लिए दरियां ही बिछाते रह जायेंगे ? चौ बीरेंद्र सिंह का यह पसंदीदा डाॅयलाग रहा कांग्रेस में रहते । इसी से पार्टियों में चुनाव के आसपास पाला बदल के खेल चलता है । हर पार्टी में कुछ लोग इधर से उधर चले जाते हैं और कोई कोई खुशकिस्मत टिकट का जुगाड़ भी कर लेते हैं । अब खुशकिस्मत कौन ? बरोदा में यह देखना दिलचस्प होगा । वैसे बरोदा को देखते हुए किसान आंदोलन भी फैलता जा रहा है । नारायणगढ़ में एक और किसान की जान इसकी भेंट चढ़ गयी । बहुत अफसोस । ट्रैक्टर यात्राओं पर अब कोई कोरोना संकट नहीं। सब माफ क्योंकि ये सत्ताधारी दल भाजपा की यात्राएं हैं ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!