लोकसभा चुनाव के नतीजों पर टिका कांग्रेस और कांग्रेसी दिग्गजों का राजनीति भविष्य?
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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लोकसभा चुनाव के नतीजों पर टिका कांग्रेस और कांग्रेसी दिग्गजों का राजनीति भविष्य?
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चंडीगड़ ;- हरियाणा के कांग्रेस दिग्गजों की राजनीति लोकसभा चुनाव के नतीजों पर टिकी है। क्योंकि विधानसभा के चुनाव भी बिल्कुल नजदीक है। मानकर चलो कि 4 महीने के अंदर- अंदर हरियाणा विधानसभा के चुनाव होना तय है। चुनाव में अच्छा नतीजा देने वाले नेता के हाथ में ही प्रदेश की बागडोर रहेगी। चुनावी मैदान में उतरे सभी दिग्गज मुख्यमंत्री के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष पद के भी प्रबल दावेदार हैं। इन दिग्गजोें में खास तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा और प्रदेश कांग्रेस प्रधान डॉ. अशोक तंवर शामिल हैं। अच्छा नतीजा देने वाले कांग्रेस दिग्गजों के हाथ में होगी कांग्रस की कमान राज्य की दस लोकसभा सीटों में से पांच पर भाजपा व कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है। अंबाला में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं राज्यसभा सदस्य कुमारी सैलजा ने चुनाव लड़ा है। एक समय था जब प्रदेश की राजनीति में हुड्डा और सैलजा की जोड़ी की तूती बोला करती थी। हुड्डा को मुख्यमंत्री पद तक पहुंचाने में सैलजा का काफी योगदान रहा है। हुड्डा को हरियाणा की बागडोर दिलाने के बाद सैलजा ने खुद केंद्र की राजनीति की। अब प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है। ऐसे में पार्टी हाईकमान की निगाह शैलजा पर टिकी हुई है।शैलजा यदि अंबाला से चुनाव जीतती हैं तो वह प्रदेश में अपनी सक्रियता बढ़ा सकती हैं। उनके पिता भी सिरसा से सांसद रह चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा स्वयं सोनीपत से चुनाव लड़े, जबकि उनके पुत्र दीपेंद्र हुड्डा ने रोहतक से ताल ठोंकी है। कांग्रेस इन दोनों सीटों को अपने खाते में मानकर चल रही है। हुड्डा की हार जीत पर तय होगा कि अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में बागडोर उनके हाथ में रहेगी अथवा हाईकमान कोई नया विकल्प तलाशेगा। चुनाव नतीजों के बाद हरियाणा के कांग्रेस दिग्गजों में बनेंगे नए समीकरण, प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. अशोक तंवर ने सिरसा से चुनाव लड़ा है। राजनीतिक विश्लेषक तंवर का मुकाबला भाजपा से बता रहे हैं। हुड्डा समर्थक पिछले तीन सालों में चाहकर भी तंवर को प्रदेश अध्यक्ष के पद से नहीं हटवा सके हैं। तंवर यदि सिरसा में चुनाव जीतने में कामयाब हो जाते हैं तो प्रदेश में अक्टूबर में होने वाले चुनाव में उनकी पसंद के हिसाब से टिकटों का बंटवारा हो सकता है अन्यथा हारने की स्थिति में तंवर के पास खोने के लिए कुछ भी खास नहीं है। इस चुनाव के नतीजों से तय होगा कि तंवर को केंद्र की राजनीति में एडजेस्ट किया जाएगा या फिर हरियाणा में ही रखा जाएगा। कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी ने अपनी बेटी श्रुति चौधरी के लिए भिवानी-महेंद्रगढ़ में पूरी शिद्दत के साथ चुनाव लड़ा है। उनका मुकाबला भाजपा के धर्मबीर के साथ हुआ है। यदि किरण यहां अपनी बेटी को जिताने में कामयाब हो जाती हैं तो उनका राजनीतिक रूतबा काफी बढ़ जाएगा। यही स्थिति कांग्रेस के गैर जाट नेता कुलदीप बिश्नोई की है, जिन्होंने हिसार में अपने बेटे भव्य बिश्नोई की शानदार लांचिंग करने में सफलता हासिल की है। यदि कुलदीप हिसार में कोई बड़ा गुल खिलाने में कामयाब हो गए तो हरियाणा की राजनीति उनके हिसाब से चलना तय है, क्योंकि कांग्रेस हाईकमान में कुलदीप की अच्छी पकड़ मानी जा रही है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद के एक और दावेदार कैप्टन अजय यादव ने गुड़ग़ांव से चुनाव लड़ा है। कैप्टन अजय और हुड्डा में छत्तीस का आंकड़ा है। हालांकि कैप्टन पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कैबिनेट में मंत्री रहे हैं। कैप्टन लालू प्रसाद यादव के समधि हैं। उनकी हार जीत पर भी भविष्य की राजनीति निर्भर करेगी। कुरुक्षेत्र में चौ. निर्मल सिंह और करनाल में कुलदीप शर्मा पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा समर्थक हैं। फरीदाबाद में अवतार सिंह भड़ाना की सीधे हाईकमान में पकड़ है।