क्या लोकसभा कुरुक्षेत्र के रण में अर्जुन चौटाला रचेंगे इतिहास या निर्मल और नायब में से जीतेगा बाजी!
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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क्या लोकसभा कुरुक्षेत्र के रण में अर्जुन चौटाला रचेंगे इतिहास या निर्मल और नायब में से जीतेगा बाजी!
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चंडीगढ़ ;- देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा में पहुँचने के लिए सभी उम्मीदवारों ने जोर लगा रखा है। चुनावी महाभारत के एक छोर पर भाजपा के नायब सिंह सैनी हैं तो दूसरे किनारे पर कांग्रेस के निर्मल सिंह बीच में अर्जुन सिंह चौटाला राजनीतिक चक्रव्यूह भेदने की भूमिका में प्रयासरत हैं। कुरुक्षेत्र में जब महाभारत की लड़ाई हुई थी, तब दो पक्ष आमने-सामने थे, लेकिन अब 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां मुकाबला कई पक्षों में होने वाला है। फिलहाल कुरुक्षेत्र का जो सियासी माहौल है, उसे देखकर तो यही कहा जा सकता है कि भिड़ंत दिलचस्प होने वाली है। 2014 के चुनाव में भाजपा से बागी हो चुके राजकुमार सैनी ने कांग्रेस पार्टी से दो बार लगातार सांसद रह चुके उद्योगपति नवीन जिंदल को भारी मतांतर से हराया था। इस बार सैनी चुनाव नहीं लड़ रहे और उन्होंने भाजपा को अलविदा कहकर लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी बना ली। तब इनेलो के बलबीर सैनी को 25 फीसदी वोट के साथ कुल 2,88,376 वोट मिले थे। 2004 और 2009 में कुरुक्षेत्र से सांसद रहे कांग्रेस के नवीन जिंदल को 2,87,722 वोट मिले थे। जिंदल तीसरे नंबर पर रहे थे। 2004 में कुरुक्षेत्र से अर्जुन सिंह चौटाला के पिता अभय सिंह चौटाला भी चुनाव लड़ चुके हैं। कुरुक्षेत्र संसदीय क्षेत्र में साढ़े 4.75 लाख से ज्यादा जाट और जट्ट सिख, करीब एक लाख सैनी और सवा लाख ब्राह्मण वोटर हैं।अर्जुन सिंह चौटाला का रिश्ता यमुनानगर के पूर्व विधायक दिलबाग सिंह की बेटी के साथ हुआ है। अर्जुन सिंह चौटाला जाट है और उनका रिश्ता जट्ट सिख परिवार में इनेलो के पूर्व विधायक दिलबाग सिंह की बेटी के साथ हुआ है इस चुनाव में यदि जाट और जट्ट सिख मतदाता एकजुट होकर मतदान करेंगे तो अर्जुन सिंह चौटाला को इसका लाभ मिलेगा। काबिलेगौर है कि बाहर से आए निर्मल सिंह जट्ट सिख हैं। कुरुक्षेत्र संसदीय सीट पर यदि जाट और जट्ट सिख मतदाता एकजुट हो गए तो इस महाभारत में अर्जुन भाजपा व कांग्रेस दोनों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। बाहरी का हो रहा विरोध ….
भाजपा ने कुरुक्षेत्र से नायब सिंह सैनी को मैदान में उतारा है, उन्हें बाहरी होने का नुकसान हो रहा है। इसी तरह कांग्रेस ने यहां निर्मल सिंह को टिकट दिया है, जिनका भी बाहरी प्रत्याशी होने के तौर पर विरोध हो रहा है। हरियाणा में देवी लाल का परिवार कहीं से भी चुनाव लड़ता रहा है। इस परिवार ने हरियाणा से बाहर जाकर भी चुनाव लड़े हैं जबकि निर्मल सिंह और नायब सिंह सैनी को यहां बाहरी होने का नुकसान होगा। अर्जुन सिंह चौटाला के पिता अभय चौटाला चूंकि कुरुक्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं, इसलिए लोग उन्हें स्वीकार करने को तैयार नजर आ रहे हैं। जजपा-आप गठबंधन ने यहां से जयभगवान डीडी को टिकट दिया है। कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट का गठन 1977 में किया गया था, इससे पहले यह क्षेत्र कैथल लोकसभा हलके के अंदर आता था। लोकसभा क्षेत्र कुरुक्षेत्र के अंदर कुल 9 विधानसभा क्षेत्र हैं। इनमें लाडवा, शाहाबाद, थानेसर, पिहोवा, रादौर, गुहला, कलायत, कैथल और पुंडरी विधानसभा क्षेत्र आते हैं। कुरुक्षेत्र के रण में अर्जुन सिंह चौटाला दूसरे उम्मीदवारों पर हर लिहाज से भारी पड़ सकते हैं।