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हरियाणा में सरकारी व्यवस्था चरमराई / पूरी आवक से पहले ही ही हांफ गई मंडियां*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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हरियाणा में सरकारी व्यवस्था चरमराई / पूरी आवक से पहले ही ही हांफ गई मंडियां*
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चंडीगढ़ ;- हरियाणा सरकार के दावों के बावजूद मंडियों में खरीद व उठान की व्यवस्था गेहूं की ढेरियों के बीच ढेर हो गई है। मंडियों में अभी तय लक्ष्य 75 लाख मीट्रिक टन के मुकाबले में आधा गेहूं ही पहुंचा है, लेकिन इतने में ही मंडियां हांफ गई हैं।
कई मंडियों में शेड व खाली जमीन पर फसल रखने की जगह तक नहीं बची और आवक लगातार जारी है। हाल ये हैं कि सड़कों पर ढेरियां लगवानी पड़ रहीं हैं।
सोनीपत में तो जिन खेतों से फसल को काटकर मंडी लाया गया था, उसे दोबारा बोरियों व तिरपाल में डालकर वहीं भिजवा दिया गया। अब खुले आसमान के नीचे हजारों टन फसल पड़ी है। मौसम विभाग ने शुक्रवार व शनिवार को बारिश की संभावना जताई है, ऐसे में फसल का खराब होना तय है।

 

वीरवार शाम तक मंडियों में पहुंची 78 फीसदी फसल को उठाया जाना बाकी है। अभी 36.07 एलएमटी गेहूं और आना बाकी है, उठान की वय्वस्था नहीं सुधरी तो आने वाले दिनों में स्थिति और बिगड़ने से इन्कार नहीं किया जा सकता।
खरीद शुरू हुए 17 दिन हो चुके, केवल 13 बचे…इसके बावजूद यह हाल
गेहूं पहुंचा : 38.93 लाख मीट्रिक टन
खरीद : 31.52 एलएमटी गेहूं
उठान : 8.59 लाख मीट्रिक टन (केवल 22 फीसदी)
इस साल लक्ष्यः 75 लाख मीट्रिक टन
अभी आना बाकी- 36 लाख मीट्रिक टन
अतिरिक्ति तिरपाल का प्रबंध करें

हरियाणा मंडी बोर्ड ने माैसम विभाग के बारिश के अलर्ट को देखते हुए सभी जिला मंडी सचिव को निर्देश दिए हैं कि अतिरिक्त तिरपाल व पॉलीथिन की व्यवस्था खरीद एजेंसियों के पास होनी चाहिए।
मंत्री बोले-मैं खुद दाैरा कर रहा हूं
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के राज्य मंत्री राजेश नागर ने कहा कि मैं खुद मंडियों का दौरा कर रहा हूं। जहां भी कमी दिखाई दे रही है, वहां अधिकारियों को निर्देश देकर तत्काल कमी दूर करवा रहा हूं। सरकार का मकसद है कि किसानों के फसलों की बिक्री, उठान और भुगतान में देरी ना हो।
किसानों को चिंता की जरूरत नहीं : सीएम
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि तेजी से फसल खरीद का कार्य चल रहा है। किसानों को चिंता की जरूरत नहीं। न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) व्यवस्था जारी रहेगी।
दो लाख किसानों की फसल खरीदी जा चुकी
अब तक 2 लाख से अधिक किसानों की फसल खरीद 1400 करोड़ रुपये की राशि किसानों के बैंक खाते में भेजी जा चुकी है। पिछले वर्ष 16 अप्रैल तक 18.24 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई थी।
उठान में देरी के तीन बड़े कारण
-खरीद एजेंसियों की लापरवाही। एक अप्रैल से खरीद शुरू होने के बावजूद उठान के लिए मंडी लेबर कांट्रैक्टर (एमएलसी) और मंडी ट्रांसपोर्ट कांट्रैक्टर(एमटीसी) की व्यवस्था नहीं हुई थी। इस पर एजेंसियों का तर्क है कि एमएलसी और एमटीसी की दरें ज्यादा थी। इस वजह से भंडारण होता गया।
– गेहूं में नमी की मात्रा 12 फीसदी तय है। अप्रैल के पहले सप्ताह तक ज्यादा नमी वाला गेहूं पहुंचता रहा और उसे मंडियों में सुखाने के लिए रखा गया। इससे ढेर लगते गए।
-पहले हाथ से कटाई होने के कारण अप्रैल और मई तक आवक होती थी। अब मशीन से कटाई होने के कारण आवक में तेजी आ गई है।

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