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(06 अप्रैल 24वीं पुण्य तिथि पर विशेष) *पूर्व उप प्रधानमंत्री एवं जननायक चौधरी देवी लाल बनाम देश का किसान*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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(06 अप्रैल 24वीं पुण्य तिथि पर विशेष)
*पूर्व उप प्रधानमंत्री एवं जननायक चौधरी देवी लाल बनाम देश का किसान*
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चंडीगढ़ ;- राष्ट्र के इतिहास में 06 अप्रैल 2001 समस्त किसान-कामगार-काश्तकार के लिये एक अत्यधिक शोक दिवस के तौर से विख्यात रहेगा। इस दिन राष्ट्र के पूर्व उपप्रधान मंत्री धरती पुत्र जननायक ताऊ देवी लाल का पार्थविक शरीर धरती में विलीन हो गया। अतः एक लेखक ने ग्रंथ में बरवयान किया कि ‘जन-जन की आवाज धरती पुत्र की आत्मा धरती में विलिन हो गई। भारतीय सेना के सैनिक दस्ते में तिरंगे सहित पार्थविक शरीर को राष्ट्रीय ध्वज में सुशोभित कर श्रद्धा सुमन श्रद्धांजलि अर्पित की। अंतिम यात्रा के कारवां में राष्ट्र के कोने-कोने से लाखों की भीड़ उमड़ पड़ी और जननायक को अंतिम सलामी देते हुए आकाशभेदी नारे ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, ताऊ देवी लाल तेरा नाम रहेगा गूंजने लगे। उनके श्रद्धाजंली समारोह में स्व० प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जी ने कहा था कि वे ‘जन नायक और सच्चे सिपाही थे जो जीवन प्रयंत दलित, काश्तकार व ग्रामीण वर्ग के लिये संघर्षरत रहे।” अतः लेखक जननायक चौ. देवी लाल की 24वीं पुण्य तिथि पर समस्त किसान-कामगार-काश्ताकार वर्ग के साथ-साथ जाट सभा चण्डीगढ पंचकुला व चौ. छोटू राम सेवा सदन कटरा-जम्मू के समस्त सदस्यगण की ओर से केन्द्रिय सरकार से धरती पुत्र जननायक चौ, देवीलाल को स्वर्गीय चौ. चरण सिंह की तरज पर “भारत रत्न” से सुशोभित करने का पुरजोर आग्रह करते हैं क्योंकि चौ. देवीलाल वास्तव में जमीनी स्तर पर अपने समस्त राजनीतिक व नीजि जीवन में सच्चे किसान हितैषी व दूरगामी समाजसेवी के तौर पर संघर्षरत रहे है। वे किसान, काश्ताकार व जनसाधारण के लिए विभिन्न सामाजिक व कल्याणकारी योजनाएं शुरू करने वाले एकमात्र सामाजिक सूत्राधार रहे हैं। अतः भारत सरकार द्वारा उनको “भारत रत्न” की उपाधि से सुशोभित करना ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
आज किसान वर्ग के प्रति सरकार की बेरूखी से व्यपित होकर ताऊ देवी लाल को याद कर लेखक अत्यन्त भावुक है क्योंकि ताऊ देवी लाल ने 1977 में हरियाणा प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने से पूर्व ही किसान-काश्तकार के लिये हुकांर भरी व कहा था कि “किसान-काश्तकार का बेटा देश का प्रधानमंत्री व दलित का बेटा राष्ट्रपति बनेगा तो तभी देश आर्थिक व प्रजातात्रात्मक दृष्टि से सम्पन्न होगा और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का स्वालम्बी भारत का सपना साकार होगा। उस समय देश के विभिन्न कृषि प्रधान राज्यों विशेषकर हरियाणा, पंजाब व केन्द्र में शासक दलो के प्रति जनता का असन्तोष बढ़ने लगा व कुछेक आत्याधिक स्वार्थी व भ्रष्ट राजनेताओं के विरूध नारे लगने लगे व रोष उभरने लगा ‘धोखेबाज व भ्रष्ट राजनेता गदी छोडो, किसान विरोधी शासक गदी छोड़ों। तब 1977 से 1979, 1987-88 व 1989 में ताऊ देवी लाल उन्हीं मुद्दों को लेकर जनता की आवाज बन आगे बढ़े व प्रजातंत्र की मजबूती के लिये नया नारा बुलन्द किया कि ‘लोकराज लोक लाज से चलता है और जनहित के लिये स्वार्थी व भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का कानून बनाने की मांग की। लेकिन यह अत्यन्त दुख का विषय है कि आजकिसानों की समसयाओं का हल करने के लिये सर्घषरत किसानों की समस्याओं के समाधान के प्रति केन्द्रीय सरकार बिल्कुल गंभीर नहीं है।
कृषि उत्पादन की लगातार बढ़ती लागत व कृषि उपज की वाजिब कीमत न मिलने से व्यथित किसान सरकार द्वारा कृषि विरोधी तीन कानूनों को रद्द करवाने, तत्पश्चात कृषि उपज के मूल्य में (एम एस पी) न्यूनतम कृषि मूल्य की गारंटी शामिल कराने के लिये वर्ष 2020 से संघर्षरत है जिससे 800 से अधिक किसान जान गवां बैठे व दो दर्जन से अधिक आंखों की रोशनी खो बैठे व अपंगता का शिकार हो गये। संयुक्त किसान मोर्चा के किसान सरदार जगजीत सिंह डल्लेवाल लगभग चार मास से भूख हड़ताल पर हैं लेकिन सरकार के पास अन्नदाता की सुध लेने का समय नहीं है और 19 मार्च 2025 को जगजीत सिंह डल्लेवाल व अन्य किसान नेताओं को पंजाब पुलिस ने धरना स्थल से उठाकर गिरफतार भी कर लिया। आजादी के 78 वर्ष बाद भी किसान काश्तकार की स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं है क्योंकि केन्द्रिय सरकार में दीन बंधु चौ. छोटू राम व जननायक चौ. देवी लाल जैसा कोई किसान प्रवक्ता नहीं है जो कि राष्ट्रिय स्तर पर किसानी की समस्याओं को उजागर कर सके। अतः आज भी किसान बिना नेतृत्व संघर्ष कर रहा है। इस प्रकार का किसान जन आंदोलन वर्ष 1917 में शहीद भगत सिंह के चाचा सरदार अजीत सिंह की अगुवाई में ‘पगंड़ी सम्माल जटा’ के जोशीले नारे में चलाया गया था। आज फिर किसान की पगड़ी उछाली जा रही है जिसकी लाज के लिये एकछत्र दंबग व निश्पक्ष किसान नेता की आवश्यकता है। चौधरी देवीलाल ने भातीय राजनीति का हर पद ग्रहण किया लेकिन अपनी जमीनी सोच और कार्यशैली में कभी बदलाव नहीं लाए। वे हर गांव के दूर कोने में बसने वाले को नाम से जानते थे, उनकी काटड़ी-बछड़ी की बात करते थे। पद की गारिमा प्रतिष्ठको बरकरार रखते हुए वे दरिद्र नारायण के घर द्वार तक पहुंचे और उनके जीवन में विकास की किरण भी पहुंचाई। सत्ता के बिना भी उन्होने लोगों के दिलों पर राज किया। वे शरीर जरूर छोड़ गए लेकिन उनकी आत्मा आज भी जीवित है। यह ताऊ का करिश्माई व्यक्तित्व ही था कि विधान सभा की की 90 में से 85 सीटें जीते तथा 1999 में चौटाला जी के गठबंधन में भाजपा ने लोकसभा की सभी 10 सीटों पर विजय पताका फहराई। उन्होने 14-15 वर्ष की आयु में ही संघर्ष का दामन थाम लिया था और वही उनकी जीवन शैली बन गया तभी उन्होने अपना नाम भारतीय इतिहास में सुनहरे अक्षरों में अंकित कर दिया। कांग्रेस मुक्त भारत की वास्तविक नींव चौधरी देवी लाल ने ही रखी थी। संपूर्ण राष्ट्र को उन्होने एक सूत्र में पिरो दिया और पहली बार केंद्र में कांग्रेस को सत्ता के गलियारों से दूर कर दिया। वे विपक्षी एकता के कर्णधार बने। वे किंग मेकर की भूमिका में ही रहे कभी किंग बनने का सपना ना देखा। प्रधानमंत्री ताज सर्वसम्मति से उन्हे दिया गया लेकिन तप-त्याग की मूर्ति चौधरी देवीलाल ने बहुत गारिमामय ढंग से श्री वी पी सिंह के सिर पर घर दिया। जब वे उनके मानकों पर खरे नहीं उतरे तो श्री चंद्रशेखर को गद्दी पर बिठा दिया और खुद संघर्ष की शैली पर चल निकले। शिक्षा के क्षेत्र में भी उनका उल्लेखनीय योगदान रहा। देहात में सामूहिक कार्यों के लिए जनता द्वारा एकत्रित की गई राशि से तीन गुणा राशि की मैचिंग ग्रांट सरकार द्वारा देने का प्रावधान करना, घुमंतू परिवारों के बच्चों को स्कूल लाने हेतू प्रलोभन एक रूपया प्रति दिन से शिक्षा का प्रसार, स्त्री शिक्षा को बढ़ावा, गरीब बच्चों को वर्दी, कापी-किताब के साथ निःशुल्क प्राथमिक शिक्षा, निःशुल्क जन स्वास्थ्य हेतू ‘जच्चा-बच्चा कल्याण योजना, प्रशासन आपके द्वार, भ्रष्ट्राचार बंद पानी का प्रबंध, किसान के खेत तक पक्के खालें, सरकारी भूमि पर लगे वृक्षों से किसान की फसल को होने वाली क्षतिपूर्ति हेतू हिस्सा, वृद्धा सम्मान पैशन, कन्यादान, विकलांग पैंशन, इटरव्यू के लिये जाने वाले छात्रों का किराया माफी आदि उनकी इतनी गहरी सोच को कोई कैसे नजर अंदाज कर सकता है। अतः पूरे राष्ट्र में ताऊ आज समाज कल्याण योजनाओं के सुत्राधार माने जाते हैं।खेल खिलाडियों और सुरक्षा सेनाओं के जवानों के विकास हेतू ताऊ ने विशेष रूप रेखा बनाई। कुश्ती के खेल के प्रति उनकी विशेष रुचि थी। हरियाणा प्रांत में वर्ष 1978 में प्रथम बार मुख्यमंत्री बनते ही उन्होने करनाल पुलिस लाईन में कुश्ती खेल नियमावली के अनुसार गद्दों पर राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता करवाई। वार हीरोज मैमोरियल स्टेडियम अंबाला कैंट में प्रथम बार कुश्ती को राज्य खेल घोषित किया। इसी प्रकार वर्ष 1989 में हरियाणा पुलिस विभाग में सिपाही से लेकर इंस्पैक्टर तक के पदों में 3 प्रतिशत के आरक्षण का प्रावधान किया और प्रथम बार पूरे राष्ट्र में सुचारू तौर से खेल नीति बनाने की रूप रेखा तैयार की। इस नीति को आगे बढ़ाते हुए उनके सपुत्र पूर्व मुख्यमंत्री श्री औमप्रकाश चौटाला ने एक विधिगत खेल नीति अपनाई और सभी सरकारी विभागों में खिलाडियों के लिए 3 प्रतिशत कोटा आरक्षित किया। इसी कारण हरियाणा आज पूरे राष्ट्र में खेलों में प्रथम नंबर पर है। इसी प्रकार पुलिसकर्मियों की समय बद्ध पदौन्नति का प्रावधान किया। यही नहीं 15 से 18 वर्ष की सर्विस के बाद सिपाही को हवलदार पद पर पदौन्नति का नियम बनाया। इस प्रणाली को आगे बढ़ाकर श्री औमप्रकाश चौटाला ने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल वर्ष 2000-2005 में 30-35 वर्ष की सर्विस वाले कर्मचारियों को पुलिस उपनिरीक्षक तक समयबद्ध पदौन्नति करने का प्रावधान किया। अतः आज हरियाणा प्रांत में सिपाही समयबद्ध तरक्की के आधार पर उप निरीक्षक के पद तक सेवा निवृत होता है जो कि पूरे राष्ट्र में एक अनुठी पहल है। दूसरों के गम में शरीक होना और यथासंभव मदद उनकी फितरत थी। प्रदेश में बाढ़ आ गई तो रिंग बांध योजना बनी और आनन-फानन में कसी तसला लेकर खुद पहुंच गए तथा यह योजना आज तक कारआमद है। तदोपरांत बाढ़ ने कभी राज्य में नुकसान नहीं पहुंचाया। हरियाणा के हिस्से का पानी लेने हेतू फैसला भी करवाया। उस वक्त पंजाब से अकाली नेता उनके साथ रहे जो बाद में राजनैतिक कारणों से यह फलीभूत नहीं हो पाई लेकिन हरियाणा में इस कार्य की परिणिती में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। वे वास्तव में जन नायक थे। गांव में चौपाल की त्थापना और वहां हुक्का की व्यवस्था करना तथा गांव के विकास हेतू मैचिंग ग्रांट आदि अनेकों योजनाओं के वे जनक रहे। आज सरकार की नीतियां सर्वथा किसान विरोधी है। आरामदायक श्रेणी में मानी गई कार पर बैंक लोन का ब्याज 7.65 प्रतिशत है जबकि किसान के लिये जरूरी कृषि यंत्र ट्रैक्टर को वर्तमान केन्द्रिय द्वारा वाणिज्य वाहन घोषित कर सभी प्रकार के पंजीकरण कर, रोड़ टैक्स, नवीकरण खर्च आदि लगा दिये गये जबकि पूर्व उपप्रधान मंत्री चौ० देवी लाल ने ट्रैक्टर को किसान का गड्डा (वाहन) मानकर सभी करो से मुक्त किया था।
छोटे काश्तकारों को उनका अधिकार दिलाने हेतू पंजाब विधानसभा में भू-पट्टेदारी अधिनियम 1953 बनवाकर मुजारों की बेदखली को रोका गया। इस अधिनियम के द्वारा 6 साल से भूमि काश्त कर रहे मुजारों को अदालत के माध्यम से आसान किश्तों पर जमीन खरीदने का अधिकारी दिलाकर मालिकाना हक दिलवाया। इसके इलावा उन्होंने अपनी खुद की अधिकतर पुस्तैनी जमीन मुजारों व छोटे काश्तकारों को काश्त करने के लिए स्थाई तौर पर आंबटित कर दी थी। वे जन साधारण के कल्याण व उत्थान के लिए आवश्यक मूलभूत कल्याणकारी नीतियों के सुत्राधार रहे हैं। सारे राष्ट्र में उन्होने गरीब, किसान व शोषित वर्ग के लिए विभिन्न प्रकार की समाज कल्याणकारी योजनाएं शुरू की थी जिसका बाद में केंद्रीय सरकार तथा अन्य राज्य सरकारों ने अनुसरण किया है।
उन्होने हरियाणा बनने से पूर्व आम आदमी को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष किए। वे अपनी दूरदर्शी व पारदर्शी सोच के द्वारा हर प्रकार की समस्या का समाधान निकाल लेते थे। राष्ट्रहित में किसी भी राजनैतिक व सामाजिक मुद्दे पर वे अपने विरोधियों तक से भी सलाह मश्वरा करने में संकोच नहीं करते थे। अपनी निष्कपट, निस्वार्थ व त्यागी छवि के कारण वे समस्त राष्ट्र में ‘ताऊ’ के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनका मानना था कि गांवों के विकास के बिना राष्ट्र तरक्की नहीं कर सकता क्योंकि शहरों की समृद्धि का मार्ग गांवों से होकर गुजरता है। इसलिए अपने शासनकाल में ग्रामीण मजदूर व काश्तकारों के साथ अन्याय नहीं होने दिया। किसान कामगार व
ग्रामीण मजदूर के हितों के प्रति उनके प्रयासों को देखते हुए स्वर्गीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने स्वर्गीय ताऊ देवीलाल के प्रति इस प्रकार से विचार व्यक्त किए “चौधरी देवीलाल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक ऐसी शक्ति है जो कि दूसरों को आगे बढने के लिए सदैव गतिशील व मार्गदर्शक हैं, उनके व्यक्तित्व में एक खास दृढ़ता है और संघर्ष ही उनका जीवन है लेकिन उनके हृदय में दूसरों के प्रति प्रेम व सहानुभूति का गतिशील आवास है। हरियाणा प्रांत के हितों के प्रति सदैव सचेत चौधरी देवीलाल को संपूर्ण राष्ट्र के भविष्य की भी चिंता सताई रहती है।”

लेखक को उनके दलित प्रेम का नीजि ज्ञान है क्योंकि सन् 1986-87 में स्वंय उन्होने दलित वर्ग से संबंधित एक आई०ए०एस० (सेवा निवृत) अधिकारी श्री कृपा राम पूनिया को राजनीति में प्रवेश करने के लिए प्रेरित किया और प्रथम बार उनको विधायक बनाकर हरियाणा में सबसे प्रभावशाली कैबीनैंट मंत्री बनावाया और बातचीत में कहते थे कि एक दिन श्री पुनिया को देश का राष्ट्रपति बनाकर अपना संकल्प पूरा करेगें। अपनी इसी सोच के आधार पर उन्होने अनुसूचित जातियों व दलित वर्ग से अनेकों भाईयों को राजनीति में प्रवेश करवाया जैसे कि नारनौल से श्री मनोहरलाल सैनी व भिवानी से श्री जय नारायण प्रजापति को सांसद बनवाया। वर्ष 1978 में पार्टी के विरूद्ध जाकर श्री फूसा राम गुज्जर को नारनौल से विधायक बनाया। इसी प्रकार कलायत विधानसभा क्षेत्र से श्री बनारसी दास बाल्मिकी, घरोंडा से श्री पीरू राम जोगी, टोहाना से श्री आत्माराम गिल आदि को विधायक बनाकर विधानसभा में प्रवेश करवाया। उन्होने हमेशा मजदूर व किसान वर्ग की आवाज को बुलंद किया और उनकी यह अवधाराणा थी कि राजनैतिक ताकत हासिल करके ही किसान-मजदूर का जीवन सुधारा जा सकता है। हरियाणा राज्य को प्रथम प्रांत का दर्जा दिलवाने में चौ० देवीलाल का विशेष योगदान रहा है। उन्होने आल इंडिया हरियाणा एक्षन कमेटी गठित करके पंजाब सरकार व केंद्रीय सरकार के समक्ष भाषा तथा अन्य राजनैतिक आधार पर अलग प्रदेश के पक्ष में दलीलें पेश की और कड़े संघर्ष के बाद हरियाणा प्रांत को अस्तित्व दिलाने में सफलता प्राप्त की।
आज आवश्यकता है कि ताऊ देवीलाल की नीतियों व सिद्धांतों का अनुशरण किया जाए। इससे सरकारी नीति व कार्यशैली निर्धारण में मदद मिलेगी। चौधरी साहब की जन कल्याणकारी योजनाओं व निश्छल राजनीति से प्ररेणा लेकर प्रशासनिक व राजनैतिक तंत्र की विचारधारा को बदलने की नितांत आवश्यकता है ताकि ग्रामीण गरीब मजदूर व किसान वर्ग के कल्याण व उत्थान के साथ-साथ स्वच्छ प्रशासन के लिए मार्ग प्रशस्त हो सके। वास्तव में ताऊ देवीलाल गरीब व असहाय समाज की आवाज को बुलंद करने वाले एक सशक्त प्रवक्ता थे इसलिए आज जन साधारण विशेषकर ग्रामीण गरीब मजदूर, कामगार व छोटे काश्तकारों को अपने अधिकारों व हितों के प्रति जागरूक करने की आवश्कता है ताकि दलगत राजनीतिज्ञ व संबंधित प्रशासन इनके हितों की अनदेखी न कर सकें तभी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का एक स्वावलंबी व स्वस्थ ग्रामीण समाज का सपना पूरा किया जा सकता है। अतः लेखक एक बार फिर से जननायक चौ. देवीलाल की किसान-कामगार-काश्ताकार, दलित व छोटे व्यापारी वर्ग के सच्चे हितैषी व जमीनी स्तर के समाज सेवी की छवि के सम्मान हेतु भारत सरकार से उनको “भारत रत्न” की उपाधि देने की पुरजोर मांग करते हैं। एक उदार हृदय एवं महान आत्मा-ताऊ देवीलाल को लेखक सदैव नत मस्तक होकर प्रणाम करता रहेगा।

लेखक 1977 से 1979, 1987 से 1989 तथा अगस्त-सिंतबर 1999 से 2001 तक चौधरी साहब गुप्तचार विभाग के अधिकारी तथा पुलिस प्रमुख रहे हैं। डॉ. महेन्द्र सिंह मलिक, IPS ( R) पूर्व पुलिस महानिदेशक, हरियाणा

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