2019 में हरियाणा की सभी 10 संसदीय सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा के लिए करिश्मा दोहराना अब की बार टेडी खीर! प्रदेशवासियो की भाजपा से ज्यादा पूर्व सीएम खट्टर से नाराजगी!*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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2019 में हरियाणा की सभी 10 संसदीय सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा के लिए करिश्मा दोहराना अब की बार टेडी खीर! प्रदेशवासियो की भाजपा से ज्यादा पूर्व सीएम खट्टर से नाराजगी!*
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चंडीगड़ ;- 2024 लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी की सुनामी धीरे धीरे कम होती जा रही है। 2019 लोकसभा चुनावों में भाजपा ने हरियाणा की सभी 10 संसदीय सीटों पर जीत हासिल की थी। यह करिश्मा अब की बार दोहराना भाजपा के लिए टेडी खीर साबित हो रहा है। क्योंकि अब की बार प्रदेश में भाजपा से ज्यादा कार्यकर्ताओं एवं प्रदेश की जनता को पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर से जबरदस्त नाराजगी है। दूसरी तरफ प्रदेश के किसानों में भाजपा सरकार के प्रति जबरदस्त रोष दिखाई दे रहा है। प्रदेश में अफसरों के बोलबाला होने के कारण हरियाणा भाजपा का समर्पित वर्कर हताश है। इसके विपरीत कांग्रेसियों का मनोबल बहुत बढ़ा हुआ दिखाई दे रहा है। यही कारण है कि अबकी बार 2024 लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित परिणाम आ सकते हैं। अब बड़ा सवाल यह उठता है कि कि इस बार के आम चुनावों में देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा क्या अपनी पिछली बढ़त और हैसियत बरकरार रख पाएगी । सरकार की लगभग 10 सालों की एंटी इनकम्बेंसी भी प्रदेश में विपक्ष के लिए मददगार साबित हो सकती है। इस बार राज्य की भाजपा सरकार के खिलाफ 10 सालों का सत्ता विरोधी माहौल है मोदी मैजिक किस हद तक सत्ता विरोधी माहौल को छू मंतर कर पाएगा यह कहना अभी मुश्किल है। हरियाणा में भाजपा पहले।की सभी सीटों पर जीत हासिल करने का प्रयास करेगी। लेकिन जीत के पिछले अंतर को कायम रखना उसके लिए इस बार एक बड़ी चुनौती होगी। नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाने से हरियाणा में कार्यकर्ताओं में थोडी बहुत नाराजगी दूर हुई है। जिसका भाजपा को चुनावों में फायदा मिलेगा। पिछला रिकार्ड देखे तो 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने अम्बाला सीट पर 3.42 लाख, कुरुक्षेत्र में 3.84 लाख, सिरसा में 3.22 लाख, हिसार 3.14 लाख, करनाल में 6.56 लाख, सोनीपत में 1.64 लाख, भिवानी- महेन्द्रगढ़ 4.44 लाख, गुरुग्राम में 3.86 लाख फरीदाबाद में 6.38 लाख व रोहतक में 7500 की बढ़त हासिल की थी। इन चुनावों में मुख्य मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच हुआ था। जजपा की चाबी ने 10 सीटें जीतकर सबको हैरान कर दिया था और उसकी चाबी से ही भाजपा का सत्ता का ताला खुल पाया।
यह बात अलग है कि 6 महीने बाद हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा 40 सीटों पर सिमटकर गई थी और कांग्रेस ने लोकसभा में शून्य रहने के बाबजूद विस चुनावों में 31 सीटें हासिल कर ली थीं। भाजपा ने इस बार एंटीइनकम्बेंसी को रोकने व जातीय समीकरण को साधने के लिए आधा दर्जन नए उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। फरीदाबाद से कृष्ण पाल गुर्जर, रोहतक से अरविन्द शर्मा, गुरुग्राम से राव इन्द्रजीत सिंह व भिवानी- महेन्द्रगढ़ से धर्मबीर सिंह पर दोबारा से विश्वास जताया है। जबकि नए चेहरों में अम्बाला से बन्तो कटारिया, कुरुक्षेत्र से नवीन जिंदल, करनाल ने मनोहर लाल, सोनीपत से मोहन लाल बडौली, सिरसा से अशोक तंवर व हिसार से रणजीत चौटाला को टिकट दिया है। क्या भाजपा पार्टी को सभी सीटों पर फायदा मिलेगा यह 4 जून को चुनावी नतीजों से ही साबित हो जाएगा।