रिटायर्ड होने के बाद भी निजी सचिव को क्यो अपने साथ रखते हैं हरियाणा के मंत्री अथवा अधिकारी, कारण, क्या वह कमाऊ पूत होते या राजदार?
राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
रिटायर्ड होने के बाद भी निजी सचिव को क्यो अपने साथ रखते हैं हरियाणा के मंत्री अथवा अधिकारी, कारण, क्या वह कमाऊ पूत होते या राजदार?
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
चंडीगड़ ;- हरियाणा सिविल सचिवालय चंडीगढ़ में आम चर्चा सुनने व देखने को मिलती हैं कि मन्त्री या बड़े अधिकारी रिटायर्ड होने के बाद भी अपने सचिव या निजी सचिव को पदमुक्त नही करते हैं। जबकि रिटायर्ड होने वाले के स्थान पर सरकार द्वारा नया सचिव या निजी सचिव नियुक्त कर दिया जाता है। आखिरकार ऐसा कौन सा निजी स्वार्थ होता है जो मन्त्री या बड़े अधिकारी पुराने सचिव या निजी सचिव को हटाते नही है। क्या वह ज्यादा ज्ञानवीर होता है या वह कमाऊ पूत! अथवा वह अपने बोस के द्वारा किये गए कार्यों का ज्यादा राजदार हो जाता है? इनमें से ऐसा कौन सा कारण है जो मन्त्री या अधिकारी को मजबूर करता है अपने पुराने सचिव को साथ रखने के लिए? यदि ज्ञान औऱ कार्यों कि बात की जाए तो सभी पुराने औऱ नए सचिवों की एक ही पाठशाला है वहीँ से सब सीख कर आते हैं। सभी को बराबर का ज्ञान होता है। हाँ यदि मन्त्री या अधिकारी अपने अधीन विभाग में रिटायर्ड सचिव अथवा निजी सचिव को नियुक्त करके अपने साथ रखता है तो इसमें उनका निजी स्वार्थ हो सकता है? कुछ भी हो हरियाणा के भाजपा राज में यह परम्परा बंद नही हुई तो यह लोकतंत्र की हत्या होगी?